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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में चिंता से घिरा रहना मानों आम बात हो गई हो। भविष्य में क्या होगा या वर्तमान में जो कुछ हुआ है, उसका परिणाम क्या होगा? इस सब बातों को लेकर मन में चिंता बनी रहती है। चिंता कम या अधिक हो सकती है। कुछ समय के लिए चिंता का होना कोई बीमारी नहीं कहलाता है। लंबे समय तक चिंता से घिरे रहने पर चिंता विकार पैदा होता है।

चिंता विकार मानसिक बीमारी का सबसे आम उदाहरण है। चिंता विकार 13 से 18 वर्ष के बीच के 31.9% किशोरों को प्रभावित करता है। हर साल चिंता विकार से वयस्कों के साथ ही अधिक उम्र के लोग भी पीड़ित होते हैं। चिंता का मतलब क्या होता है, चिंता के लक्षण, प्रकार, कारण, निदान, रोकथाम, दवाएं, उपचार और अन्य महत्वपूर्ण विवरणों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें।

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बीमारी का नामचिंता
वैकल्पिक नामचिंता विकार
लक्षण
हाथों में ठंडा पसीना, नींद की समस्या, मुंह सूखना, बेचैनी या घबराहट, छाती में दर्द, कांपना
कारण
रासायनिक असंतुलन, पर्यावरणीय कारक, आनुवंशिकता, सामाजिक चिंता विकार
निदान
रोगी का इतिहास, नैदानिक ​​परीक्षण, जांच
इलाज कौन करता है
मनोविज्ञानी, मनोचिकित्सक
उपचार के विकल्प
ध्यान लगाना, व्यायाम, जीवनशैली में बदलाव, दवाएं, टॉक थेरेपी

चिंता का क्या मतलब होता है?

चिंता शब्द डर और बेचैनी से जुड़ा हुआ है। जब व्यक्ति चिंता में डूबा होता है तो उसे अचानक से पसीना आ सकता है, बेचैनी हो सकती है। साथ ही तनाव (टेंशन) के साथ दिल की धड़कन भी तेज हो सकती है। वैसे तो चिंता के कारण पसीना आना, बेचैनी या धड़कन तेज होना आदि सामान्य प्रतिक्रिया माना जाता है।

कोई बुरी खबर सुनने पर चिंतित होना, परीक्षा या इंटरव्यू देने से पहले चिंतित होना, जीवन में घटित किसी बुरी घटना को याद कर चिंतित हो जाना आदि सामान्य है। चिंता होना कोई बीमारी नहीं है। जब यह चिंता अस्थाई की जगह स्थाई हो जाती है तो यह एक मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है। इसे चिंता विकार (anxiety disorder meaning in hindi) कहा जाता है।

चिंता विकार का क्या मतलब है?

चिंता विकार एक प्रकार का मानसिक विकार है। जो लोग चिंता विकार से पीड़ित होते हैं, उनकी चिंता खत्म नहीं होती है। समय के साथ चिंता विकार के लक्षण और भी बुरे होते जाते हैं।

चिंता विकार के प्रकार

चिंता विकार एक नहीं बल्कि कई प्रकार का होता है। व्यक्ति के आसपास के हालात या परिस्थितिया चिंता विकार के प्रकार को जन्म देते हैं। चिंता विकार के प्रकार निम्नलिखत हैं:

  1. सामान्यकृत चिंता विकार/ जेनेरलीज़ेड एंग्जायटी डिसऑर्डर (जी.ऐ.डी.): सामान्यकृत चिंता विकार में व्यक्ति कुछ सामान्य कारणों जैसे कि काम, परिवार, स्वास्थ्य आदि विषयों को लेकर चिंतित रहता है।
    जी.ऐ.डी. का निदान तब होता है, जब व्यक्ति को छह महीने से अधिक चिंता रहती है।
  2. घबराहट की समस्या या पैनिक डिसऑर्डर: पैनिक अटैक का अनुभव करने वाले कुछ लोगों में पैनिक डिसऑर्डर विकसित हो जाता है। पैनिक डिसऑर्डर एक प्रकार का चिंता विकार है।
    ऐसे व्यक्तियों को जब भी कोई खतरा महसूस होता है तो शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं।
    एंग्जायटी अटैक और पैनिक अटैक के लक्षणों को लेकर अक्सर लोग दुविधा में रहते हैं। एंग्जायटी अटैक और पैनिक अटैक समान नहीं होते हैं। पैनिक अटैक आमतौर पर डर की स्थिति में कभी भी आ सकता है। जबकि एंग्जायटी अटैक लंबे समय तक चिंता से घिरे रहने पर आता है। पैनिक डिसऑर्डर से पीड़ित लोग अक्सर इस बारे में चिंता करते हैं कि अगला हमला कब होगा और वो कैसा महसूस करेंगे।
  3. फोबिया या भय: फोबिया या भय में व्यक्ति को किसी भी चीज से डर लग सकता है। जो लोग फोबिया से पीड़ित होते हैं, उन्हें सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर, भीड़भाड़ वाली जगहों से भी डर लग सकता है या खतरा महसूस हो सकता है।
    ऐसे लोगों को भीड़ में जाने से, किसी जानवर से, मकड़ी से, छिपकली से, ऊचांई से, इंजेक्शन से, खून से या फिर कुछ सामाजिक स्थितियों से भी भय लग सकता है।
  4. अलग होने की चिंता: यह स्थिति ज्यादातर बच्चों या किशोरों में पाई जाती है। बच्चों को अक्सर माता-पिता से अलग होने की चिंता लगी रहती है। बच्चों को अक्सर ये चिंता लगी रहती है कि उनके माता-पिता वादे से मुकर जाएंगे।

चिंता के लक्षण

चिंता के लक्षण या एंग्जायटी के लक्षण सभी व्यक्तियों में कम या ज्यादा दिख सकते हैं। चिंता विकार के शारीरिक सामान्य लक्षण निम्नलिखत हैं:

  1. हाथों में ठंडा पसीना आना।
  2. नींद की समस्या।
  3. मुंह सूखना।
  4. बेचैनी या घबराहट।
  5. जी मिचलाना।
  6. छाती में दर्द।
  7. कांपना।
  8. हाथ या पैर में झनझनाहट महसूस होना।
  9. मांसपेशियों में तनाव।
  10. सांस लेने में कठिनाई।
  11. दिल का तेज धड़कना।

चिंता विकार के मानसिक सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. डर लगना।
  2. बेचैनी।
  3. बुरे सपने आना।
  4. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
  5. बार-बार बुरे विचार या दर्दनाक अनुभव याद आना।

चिंता विकार के सामान्य व्यवहार संबंधी लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. स्थिर और शांत रहने में असमर्थता।
  2. नींद न आना।
  3. अनुष्ठानिक व्यवहार, जैसे बार-बार हाथ धोना।

अगर व्यक्ति चिंता की परेशानी से जूझ रहा है तो जरूरी नहीं है कि उपरोक्त दिए गए सभी लक्षण व्यक्ति में नजर आएं।

चिंता की रोकथाम

चिंता विकार से बचना संभव नहीं है। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो चिंता विकार के लक्षणों को कम किया जा सकता है। जानिए किन बातों का ध्यान रखकर चिंता विकार के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

  1. स्वस्थ्य जीवनशैली: चिंता विकार से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। रोजाना संतुलित आहार लेने के साथ ही व्यायाम और अच्छी नींद चिंता विकार से बचाने के साथ ही कई बीमारियों से बचाती है।
  2. ओवर- द- काउंटर दवाएं: किसी दवा का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से या फार्मासिस्ट से जानकारी जरूर लेना चाहिए। कुछ ओवर- द- काउंटर दवाएं या हर्बल उपचार चिंता विकार के लक्षणों को बढ़ाने का काम कर सकते हैं।
  3. कैफीन का सीमित सेवन: रोजाना अधिक मात्रा में चाय और कॉफी का सेवन करते हैं तो इसे तुरंत सीमित कर देना चाहिए। चाय या कॉफी, चॉकलेट और कोला का अधिक मात्रा में सेवन करने से चिंता विकार के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं।
  4. जरूर लें सहायता: अगर जीवन में कोई दर्दनाक घटना घटी है तो इसे मन में दबाकर नहीं रखना चाहिए। ऐसे में किसी दोस्त से या डॉक्टर से इस बारे में खुलकर बात कर सकते हैं। किसी से सहायता लेने से चिंता को कम करने में मदद मिल सकती है।

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