स्टूडेंट्स नौवीं कक्षा में आते है और अगले साल बोर्ड… कुछ छात्रों ने बोर्ड दिए हैं इस बार और वे अब कॉलेज शुरू करेंगे। मतलब करियर चुनने की भागम भाग शुरू।
करियर बनाना मुश्किल नहीं है। मुश्किल तो ये है कि आप कौन सा करियर चुनेंगे और उस पर कैसे आगे बढ़ेंगे? क्योंकि लोगों को ये समझने में ही आधी जिंदगी बीत जाती है कि उनकी पसंद क्या है, उनके अंदर क्या अच्छा करने की शक्ति है और वो किस चीज में करियर बना सकते हैं। इसलिए नौवीं कक्षा में आते ही बच्चों को करियर काउंसलिंग या करियर कोचिंग देने की बात आजकल काफी कही जाती है।
जैसा की हम सब को पता है कि छात्रों की वास्तविक क्षमता पता लगाने के लिए काउंसलिंग ज़रूरी है। कुछ छात्र तो अपने करियर का विकल्प सही चुन लेते हैं लेकिन बहुत सारे ऐसे छात्र भी हैं, जो या तो दुविधा में रहते हैं या फिर उनके पास कोई विचार ही नहीं होता है कि क्या करें। तो इन समस्यायों के समाधान के लिए बच्चों को काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ती है।
हम आपको बतादें की करियर काउंसलिंग 2 से 3 घंटे या अधिक से अधिक एक दिन का सेशन होता है और इतने कम समय में किसी बच्चे की रूचि का पता लगाना संभव हो पाएगा या नही? हमें लगता है की ये बड़ा मुश्किल काम होगा की इतने कम समय में किसी की रूचि को समझा जा सके और उसके आधार पे उसको करियर की सलाह दिया जा सके।करियर का चुनाव आपसे ही शुरू होता है, आपका व्यक्तित्व, आपका शौख, आपका रुझान ही आपके करियर के चनाव में सहायक होगा।बस ज़रूरत है तो सही समय पर अपने रूचि का पता लगाने की और उसके बारे में जानने की।जैसे की आपको सही ऑप्शन समझ नहीं आ रहा की आपको आगे क्या करना चाहिए तो सबसे सही और आसान तरीका यह है कि आप जितने भी करियर विकल्प से अवगत हैं उन्हें एक पेपर पर लिख लें, आप चाहे तो अपने पेरेंट्स, दोस्त और आस-पड़ोस के लोगों से भी करियर ऑप्शन्स जानने में सहायता ले सकते हैं।
आपकी रूचि जिस भी फील्ड से जुड़ी है उसके बारे में आप अपने अभिभावक से पूछें, यदि आपके अभिभावक के दोस्त उस फील्ड में हैं तो उनसे मिलें या उनसे बात करें और जानने को कोशिश करें की क्या स्कोप है आगे उस फील्ड में और उनसे पूछें की उनको ये कितना उचित लगता है।इस प्रकार आप अपने रूचि और अपने करियर के काफी समीप होंगे और आपके ऑप्शन्स 2 या 1 ऑप्शन्स में इस प्रकार आसानी से बदल जायेंगे।
एक शिक्षक की भूमिका भी अति आवश्यक है।आपके शिक्षक ही आपको यह सही तरीके से बता सकते हैं कि आपके गोल तक आपको किस प्रकार पहुंचना है, आप कहाँ चूक रहें हैं, कितनी सुधार की आवश्यकता है, ग्यारहवीं और बारवीं में आपको कैसे पढ़ना है, आपका समय सारणी किस प्रकार होना चाहिए, आपको आपके गोल तक पहुँचने के लिए कितनी मेहनत करनी चाहिए इत्यादि ।आपका स्तर अभी क्या है और आपको आपके गोल और अपने करियर में सफलता के लिए और कितनी मेहनत की आवश्यकता है।यह सब आपके टीचर की मदद से ही संभव है।
निष्कर्ष: वैसे तो माना जाता है कि जब जागो तभी सवेरा लेकिन अगर एक उपयुक्त समय की बात करें तो आपको अपने करियर की तैयारी की शुरुवात कक्षा आठवीं या नौवीं से कर देनी चाहिए।करियर के चुनाव का यही सबसे आदर्श समय है क्यूंकि कक्षा नौवीं के बाद बच्चे दसवीं में आते ही अपने बोर्ड एग्जाम में वयस्थ हो जाते हैं उनके पढाई का तनाव भी बढ़ जाता है।दरअसल देखा जाये तो बच्चों को आठवीं या नौवीं में ही अपने करियर से जुड़ी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए क्यूंकि एक सुनिश्चित गोल तक पहुँचने में भी काफी समय लगता है और तनाव जैसी कोई बात भी नही है क्यूंकि इसमें पेरेंट्स, टीचर्स और आपके मित्रों का भी पूरा सहयोग होता है।
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