अधिकतर लोगों को यह तो पता होता है कि उन्हें जितनी नींद लेनी चाहिए थी उतनी नहीं ली लेकिन कितनी लेनी चाहिए यह पता नहीं होता।नियमित जीवनशैली का अभाव, शराब, कॉफी और एनर्जी ड्रिंक का सेवन ऐसी चीजें है जो आपके रोज़मर्रा की दिनचर्या को प्रभावित कर सकते हैं.हर व्यक्ति की जीवनशैली उसकी नींद की ज़रूरत समझने का आधार होती है. लेकिन आपकी उम्र के हिसाब से नींद लेने के बारे कुछ सलाहें दी जा सकती है.खासकर छात्रों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है।
•स्कूल जाने की उम्र के बच्चे (6-13 साल) – इन बच्चों के लिए नेशनल स्लीप फाउंडेशन (एनएसएफ) 9 से 11 घंटे नींद की सलाह देता है. इनके लिए 7 से कम और 11 से ज़्यादा घंटे की नींद सही नहीं मानी जाती।
•किशोरावस्था (14-17 साल) – इन्हें 8 से 10 घंटे की नींद की सलाह दी गई है लेकिन 7 से कम और 11 से ज्यादा घंटों की नींद को एनएसएफ सही नहीं मानता।
•वयस्क (18-25 साल) – नौजवान वयस्कों के लिए 7-9 घंटों की सलाह दी गई है लेकिन ये 6 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए।
एक छात्र के लिए कितने घंटे की नींद काफी होती है ? परीक्षा के दिनों में सोने के समय में कटौती करने से वाकई में कोई फायदा होता है ? क्या दोपहर में एक नींद ले लेनी चाहिए ?
हमें इस प्रश्नों का सही उत्तर पता होना चाहिए ताकि अच्छी तरह से अपनी पढाई कर सके। नींद के महत्त्व को जानने के लिए इन बातो को समझना जरुरी है।
•नींद आवश्यक प्रोटीन बनाती है :-
नींद के दौरान दिमाग के सभी भाग आराम नही करते दिमाग के कुछ निशचित भागों में इलेक्ट्रिकल क्रियाकलाप, ऑक्सीजन उपभोग और ऊर्जा व्यय होते है। इन क्रियाकलापों के दौरान दिमागी प्रोटीन बनाती है। यही प्रोटीन बुद्धि तेज़ करने में मदत करता है। इसलिए यह जरुरी है कि आप पूरी नींद ले ताकि प्रोटीन उत्पादन हो सके। क्योंकि प्रोटीन का बनना और बिगड़ना रोजाना की प्रक्रिया है। अगर पुराने प्रोटीन की जगह नए प्रोटीन ना ले तो सारी बुद्धि धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएगी। इसलिए प्रोटीन प्रक्रिया द्वारा बुद्धि धारण करने के लिए नींद का अपना महत्त्व है।
•नींद शरीर को सुव्यवस्थित करती है :-
दिन के दौरान जो भी सुचना हम प्राप्त करते है, नींद उसको व्यवस्थित करती है। जो कुछ हम देखते है, सुनते है, सूँघते है, टेस्ट करते है या स्पर्श करते है तो विभिन्न तरह की सुचना मस्तिष्क ( दिमाग़ ) तक पहुँचती है। नींद इन सूचनाओं को नाड़ी स्टोरेज में आसान योजना को व्यवस्थित करती है। इसलिए अच्छी नींद के साथ कोई समझौता कभी मत करिए। हमें अच्छी नींद आवश्यक लेनी चाहिए। कितनी नींद लेनी है यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कितना शारीरिक और मानसिक कार्य करता है और किस तरह का का भोजन करता है।छात्र के लिए 6 से 8 घंटो की नींद होनी चाहिए। यह भी हमेशा याद रखिए कि पूरी नींद न लेने से मनुष्य की सुचना को दीर्घ कालीन बुद्धि में भेजने की क्षमता का भाग होता है।
•दोपहर की नींद :-
दोपहर के नींद का मतलब सुबह-सुबह का काम करने के बाद जब दिमाग़ थकान अवस्था में होता है तो 30 से 45 मिनिट की नींद दिमाग को ऊर्जावान बना देती है। हालांकि यह नींद शारीरिक रूप से सुस्त कर देते है पर दिमाग़ को उर्जावान बना देती है।अगर आपकी नौकरी इस प्रकार की है जिसमे आपको दोपहर की नींद लेना असंभव है तो परेशान होने की जरुरत नही है, आप कुछ समय शांत भाव में ध्यान मुद्रा में बैठ सकते है। इससे दिमाग ताज़ा होता है।
•अनिद्रा की स्थिति पर काबू :-
अगर आपको रात में नींद लेने में दिक्कत है, तो इसके उपाय के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार है:
1) रात में खाने के बाद, देर रात चाय या कॉफ़ी पीना गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। अगर आपने दिन में ज्यादा कैफ़ीन उपभोग किया है तो वह भी नींद में बाधक हो सकता है।
2) अधिक प्रोटीन वाले भोजन से बचे-अगर आपको रात में नींद लेने में दिक्कत है तो सोने से पहले ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन का उपभोग न करे।
3) सोने के समय का पालन- अगर आपके सोने के समय में बदलाव होता रहता है तो यह भी अनिद्रा का कारण होता है। इसलिए सोने का समय निशचित कर लीजिए।
•अंत अधिक उपादेयक होता है :-
यह मस्तिष्क का गुण होता है कि यह बीच में प्राप्त सुचना के मुकाबलें पहले या फिर आखिरी में सुचना को बेहतर तरीके से धारण करता है। जब हम लेक्चर यार सेमिनार सुन रहे होते है तो हम पहले और आखिरी बातों को ज्यादा याद कर पाते है। इसी तरह फिल्म देखने के दौरान भी ऐसा ही होता है। सोने जाने से पहले का आखिरी घंटा और सोकर उठने के बाद का पहला घंटा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। इन दोनों समय को पढाई के लिए इस्तेमाल करिए। यदि आपको कुछ रिवीजन करना है तो सोने जाने से पहले का समय अधिक महत्त्वपूर्ण है। सुबह के समय दिमाग़ अधिक चुस्त (फ्रेश) होता है तो सुबह के समय को नया टॉपिक याद करने में लगाइए।
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