इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कमयुनिकेशन इंजीनियरिंग( ई.सी.ई) बी.टेक का वह कोर्स जिसे “एवरग्रीन” कोर्स के नाम से जाना जाता है।इसका मुख्य कारण यह है कि यहां कोर और आईटी कंपनी दोनों में कैरियर के राह खुल जाते है। प्लेसमेंट में चाहे कोर हो या आईटी, एक ई.सी.ई छात्र के पास दोनों विकल्प मौजूद रहते हैं।इस कोर्स के कार्य क्षेत्र की सीमा बहुत दूर तक फैली हुई है जिसके वजह से युवा इस कोर्स को लेकर उत्सुक रहते हैं।इंजीनियरों के लिए सरकारी कॉम्पटीशन एग्जाम (आई.ई. एस) में भी इस कोर्स के छात्र अपनी योग्यता रखते हैं जिसमे वो अपनी कैरियर को एक नई दिशा दिखा सके। कंपनियां जैसे सैमसंग,इंटेल,इत्यादि में ई.सी.ई के छात्रों की काफी मांग है, जिसमें छात्रों को भारी भरकम पैकेज का प्रस्ताव मिलता है।
एक ई.सी.ई के छात्र होने के साथ साथ बहुत से विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे वो अपने कैरियर की उड़ान भर सके। वह बातें और टिप्स क्या – क्या हो सकती है आइए उस पर प्रकाश डालते हैं।
–>कोर नॉलेज होना आवश्यक:
एक ई.सी.ई छात्र के लिए उसके कोर विषयों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है क्योंकि प्लेसमेंट के दौरान उन्ही विषयों से अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए छोटे से छोटे सवाल भी अपने प्रोफेसर से पूछने में हिचकिचाए नहीं।कुछ कोर विषय जैसे एनालॉग इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर डिवाइसेज, आदि का समझ होना अनिवार्य है।इसके साथ साथ लैब में भी जो भी प्रयोग कर रहे हो उसका भी सम्पूर्ण समझ होनी चाहिए। क्यूंकि बहुत बार प्लेसमेंट में प्रैक्टिकल को लेकर भी सवाल किए जाते हैं इसलिए अपने ब्रांच संबधित विषयों का ज्ञान होना जरूरी है।
–>आईटी में भी करे फोकस:
क्योंकि ई.सी.ई कोर के साथ साथ आईटी में भी अवसर देता है इसलिए आईटी संबधित विषयों को बिल्कुल भी नजरअंदाज करने की कोशिश ना करें।बहुत से छात्र केवल कोर विषयों में ध्यान देते है और आईटी विषयों को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं जिससे बाद में उन्हें आईटी कंपनियां में सवालों के जवाब देने में दिक्कतें आने शुरू हो जाती है इसलिए ये बात ध्यान में रखनी चाहिए।कोई भी प्रोग्रामिंग भाषा जैसे सी, जावा, पाइथॉन में अपनी पकड़ मजबूत रखें क्योंकि कोई भी आईटी कंपनी में ऐसी प्रोग्रामिंग भाषा का समझ रखके आसानी से नौकरी प्राप्त किया जा सकता है।
–> प्रोजेक्ट वर्क में रहे सतर्क:
बी.टेक फाइनल ईयर में प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा महत्व होता है,सबसे ज्यादा अंक प्रोजेक्ट के है होते हैं ,यूं समझ लीजिए फाइनल ईयर केवल प्रोजेक्ट और सेमिनार के लिए ही माना गया है।और ऐसे में ई.सी.ई छात्रों को प्रोजेक्ट के चुनाव को लेकर सतर्कता बरतनी चाहिए।बहुत से प्रोजेक्ट वर्क होते हैं जैसे नैनो मैटेरियल्स, मोस्फेट,रेडियो कम्युनिकेशन आदि।छात्रों को अपने पसंदीदा टॉपिक जिसमें उनकी रुचि हो उसमे काम करना शुरू कर देना चाहिए।प्रोजेक्ट संबधित पढ़ाई करती रहनी चाहिए और सही समय रहते अपने प्रोजेक्ट को लेकर अपने कॉलेज के प्रोफेसर से बात कर लेनी चाहिए। बहुत सारे प्रोजेक्ट्स बाद में रिसर्च में भी काम आते हैं,जिसके लिए छात्रों को सरकार के तरफ से फंड भी मिलता है इसलिए प्रोजेक्ट को लेकर हमेशा एकाग्रीत होने की जरूरत है।
–>सक्रतामक ऊर्जा:
कहते हैं कि एक छात्र का एटिट्यूड और पर्सनैलिटी ही उसको परिभाषित करती है।और ये पर्सनैलिटी विकसित होती है उसके सक्रतामक ऊर्जा से।ऐसे में ई.सी.ई छात्रों को अपनी पर्सनैलिटी पर ख़ास ध्यान देना चाहिए।चेहरे में सक्रतामकता तभी दिखती है जब आत्म विश्वास हो, और जहां आत्म विश्वास हो वहां कितना भी कठिन से कठिन क्यों ना हो, कार्य सरल प्रतीत होता है।
–>रिज्यूमे:
किसी भी ई.सी.ई छात्र को नौकरी हासिल करने की सबसे पहली सीढ़ी होती है उसका रिज्यूमे इसलिए कैंपस आने से पहले ही उसे रिज्यूमे पर काम करना शुरू कर देना चाहिए और उसे समय से अपडेट कर लेना चाहिए। दरअसल रिज्यूमे ही एक छात्र के बारे में सबकुछ कहता है इसलिए इंटरव्यू में जाने से पहले रिज्यूमे को अच्छे से चेक करलें की इसमें कोई समस्या तो नही है। इसके साथ ही इंटरव्यू में जाने से पहले रिज्यूमे को पढ़कर जाए कि उसमें लिखा क्या है। रिज्यूमे को मजबूत करने के लिए प्रथम वर्ष से ही फोकस करना शुरू कर दें क्योंंकि ई.सी.ई में अवसर अनेक है तो तैयारी पहले से हो तो उचित माना गया है।
–>समर कोर्स:
इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष में प्रवेश से पूर्व,जब सेमेस्टर की छुट्टियां मिलती है तो इसे व्यर्थ बिल्कुल ना जाने दें।ऐसे में एक आदर्श ई.सी.ई छात्र सदैव समर कोर्स करके अपने रिज्यूमे को मजबूत करने का प्रयास करेगा और कुछ सीख कर आगे की राह को आसान करने की सोचेगा।ई.सी.ई छात्र के लिए बहुत सारे समर कोर्सेस उपलब्ध है जैसे – डिवाइस फेब्रिकेशन,कम्युनिकेशन सिस्टम,एंबेडेड सिस्टम आदि। इन कोर्सेस को करने के बाद सदैव एक ई.सी.ई छात्र स्वयं को दूसरों से अलग देखता है क्योंंकि अपने पाठ्यक्रम के अलावा उसने कुछ अतिरिक्त ज्ञान अर्जित किया है।
–>सीनियर की मदद लेना ना भूले:
एक ई.सी.ई छात्र को जो जरूरी टिप्स की जरूरत होती है उसे अपने सीनियर के अलावा कोई और नही दे सकता है, इसलिए अपने सीनियरों के टच में रहे, और कैंपस प्लेसमेंट को लेकर उनसे जानने की कोशिश करें कि उनके समय कौन-कौन सी कंपिनयां आई थी, और उन्होने इंटरव्यू को कैसे फेस किया था।इसके अलावा पढ़ाई को लेकर, कोई विशेष एक्टिविटी को लेकर,कॉम्पटीशन परीक्षा से जुड़ी जानकारी में भी सीनियर बहुत मददगार सिद्ध होते हैं।
निष्कर्ष:
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कमयुनिकेशन इंजीनियरिंग( ई.सी.ई) एक ऐसा कोर्स है जिसे चुनकर हर कोई अपने कैरियर को उड़ान दे सकता है।यदि कुछ टिप्स और विशेष बातों को अपने जेहन में रखे तो सफलता निश्चित कदम चूमेगी।