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What is Pilgrimage Meaning in Hindi

Pilgrimage Meaning तीर्थयात्रा का अर्थ है किसी पवित्र स्थान पर धार्मिक कार्य के लिए की जाने वाली यात्रा। इसमें धार्मिक आदर्शों, श्रद्धा और अनुष्ठान का महत्व होता है। यह विशेष धार्मिक समाजों और संस्कृतियों में प्रतिष्ठित है। यह यात्रा धार्मिकता, आदर, और आत्मिक अनुभव का महत्वपूर्ण तत्व होती है।

Pilgrimage Meaning in Hindi

तीर्थयात्रा का अर्थ है किसी पवित्र स्थल पर धार्मिक कार्य के लिए की जाने वाली यात्रा। यह शब्द “तीर्थ” और “यात्रा” के मेल से बना है। “तीर्थ” का अर्थ है किसी पवित्र स्थान को जिसे लोग धार्मिक आदर और सम्मान के साथ यात्रा करते हैं, और “यात्रा” का अर्थ है किसी निर्दिष्ट स्थान तक यात्रा करना। इस यात्रा के दौरान लोग धार्मिक क्रियाएं, पूजा, प्रार्थना, और अन्य धार्मिक अद्यात्मिक गतिविधियों को अदा करते हैं। तीर्थयात्रा का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से है। यह धार्मिकता की एक महत्वपूर्ण भावना है जो लोगों को उनके आत्मिक और मानवीय जीवन के मूल्यों को समझाती है। यह एक सामाजिक अनुष्ठान है जो लोगों को अपने समुदाय के साथ जोड़ता है और सामूहिक आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है। इसके अलावा, यह एक आध्यात्मिक अनुभव है जो लोगों को उनके आत्मिक अर्थों और स्वयं के साथ संबंध स्थापित करता है। तीर्थयात्रा की विविधता भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। भारत में कई पवित्र स्थल हैं जैसे की चार धाम, काशी, प्रयाग, हरिद्वार, वैष्णो देवी, गया, उज्जैन, और अजमेर। इन स्थलों पर तीर्थयात्रा करने के लिए लाखों लोग वर्ष में यात्रा करते हैं। वे अपने धर्म के लिए तपस्या, पूजा, प्रार्थना, और अन्य धार्मिक क्रियाएं करते हैं। यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक सम्मान का विषय है जो भारतीय समाज के रूढ़िवादी मूल्यों को दर्शाता है। तीर्थयात्रा का अध्ययन धार्मिक अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। यह धार्मिक समाज के संरचना और समाज के आध्यात्मिक जीवन को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, इसे धार्मिकता की विविधता और धार्मिक संगठन की दृष्टि से भी अध्ययन किया जा सकता है। तीर्थयात्रा का अध्ययन धार्मिक समुदायों के सम्प्रेषण, सामाजिक संगठन, और धार्मिक उत्सवों के प्रभाव की भी जांच करता है। इस तरह, तीर्थयात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक गतिविधि है जो मानव समाज में सामाजिक सद्भावना, आदर्शों की अनुसरणीयता, और आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करती है। यह एक संगीत मेले की भाँति है जो लोगों को एक साथ जोड़ती है और उन्हें आत्मीय अनुभव का साझा करने का अवसर प्रदान करती है।

Pilgrimage Meaning with Examples

तीर्थयात्रा एक धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा है जो विभिन्न धर्मों में प्रचलित है। इसमें लोग धार्मिक गतिविधियों के लिए किसी पवित्र स्थल पर यात्रा करते हैं। यह परंपरा विश्व के विभिन्न हिस्सों में प्राचीन समय से चली आ रही है और इसमें धार्मिक साधना, आध्यात्मिक संगठन, और सामाजिक एकता के अनेक मान्यताओं का अनुसरण होता है।

1. चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra): भारत में चार धाम यात्रा को विशेष महत्व दिया जाता है। इसमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल होते हैं। ये चारों स्थान हिमालय की पर्वत श्रृंग में स्थित हैं और हिन्दू धर्म के चौथे आदिवार्षिक तीर्थों में गिने जाते हैं। चार धाम यात्रा का अवलोकन भारतीय धार्मिक संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा है और लाखों श्रद्धालु हर साल इन स्थलों को यात्रा करते हैं।

2. कुंभ मेला: कुंभ मेला भारत के प्रमुख पवित्र स्थलों पर होने वाला महामेला है। इस मेले में लाखों लोग एकत्र होते हैं और गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी नदी के किनारे या उनके संगम स्थलों पर आकर्षित होते हैं। यह मेला हर 12 वर्ष में अलग-अलग स्थानों पर होता है और इसमें स्नान, पूजा, और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

3. मंदिर यात्रा: धार्मिक मंदिरों की यात्रा भी बहुत प्रचलित है। लोग अपने आस्थान के प्रमुख मंदिरों की यात्रा करते हैं और वहां अपने ईश्वर को आराधना करते हैं। यह यात्रा उनके धार्मिक अनुष्ठानों का भाग होती है और वे अपने धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आदर्शों का पालन करते हैं।

4. जैन तीर्थयात्रा: जैन धर्म के अनुयायी भी अपने प्रमुख तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं। पवित्र स्थलों जैसे कि श्रवणबेलगोला, शिक्षापत्र, पावापुरी, पर्सनाथ, और राजगिर को जैन समुदाय के लोग यात्रा करते हैं और अपने धार्मिक अभ्यासों को प्रभावी ढंग से अदा करते हैं।

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि तीर्थयात्रा का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कितना अधिक है। यह एक सामूहिक अनुभव है जो लोगों को धार्मिकता और सामाजिक एकता की भावना से जोड़ता है और उन्हें आत्मिक संवेदनशीलता की दिशा में ले जाता है।

Pilgrimage Meaning in Synonyms

तीर्थयात्रा के अर्थ को समझने के लिए हमें इसके समानार्थी शब्दों की ओर देखने की आवश्यकता है। तीर्थयात्रा एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है, जिसमें लोग धार्मिक स्थलों पर यात्रा करते हैं। इसलिए, इसके समानार्थी शब्दों में भी धार्मिक और आध्यात्मिक सांस्कृतिक संदेश समाहित होते हैं। यहां कुछ समानार्थी शब्दों की एक सूची है और उनका विवरण:

1. तपस्या (Tapasya): तपस्या एक धार्मिक अभ्यास है जिसमें व्यक्ति अपने आत्मा को शुद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए समर्पित करता है। यह शब्द तीर्थयात्रा के साथ उसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को बयान करता है। तपस्या करने वाले व्यक्ति किसी विशेष स्थान पर जाते हैं और वहां ध्यान, पूजा, और ध्यान के माध्यम से अपनी आत्मा के उत्थान का प्रयास करते हैं।

2. साधना (Sadhana): साधना एक अभ्यास है जिसमें व्यक्ति अपने आत्मा को प्रशांति, संतोष, और आध्यात्मिक विकास के लिए संज्ञाना करता है। यह भी तीर्थयात्रा के साथ उसके धार्मिक और आध्यात्मिक परिपेक्ष्य में संबंधित है। व्यक्ति साधना के द्वारा अपने मन को नियंत्रित करते हैं और आत्मा के संगीत से जुड़ते हैं।

3. यात्रा (Yatra): यात्रा शब्द तीर्थयात्रा के साथ उसके यात्रात्मक परिपेक्ष्य में उद्योत होता है। यह धार्मिक स्थलों के दौरे के रूप में किया जाता है, जिसमें व्यक्ति धार्मिकता और आध्यात्मिकता का अनुभव करता है।

4. समर्पण (Samarpan): समर्पण शब्द भी तीर्थयात्रा के अर्थ को समझने में सहायक होता है। यह धार्मिक स्थलों पर यात्रा के दौरान व्यक्ति की आत्मा को ईश्वर के समर्पित करने की भावना को दर्शाता है। यह भावना उसकी तीर्थयात्रा के अनुभव को गहराई देती है और उसे आत्मिक आनंद का अनुभव कराती है।

5. ध्यान (Dhyan): ध्यान एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करता है और आत्मा के अनंत विकास के लिए प्रयत्नशील होता है। यह तीर्थयात्रा के दौरान भगवान की ध्यान में रहने का एक तरीका हो सकता है, जिससे व्यक्ति आत्मिक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

इन समानार्थी शब्दों के माध्यम से हम तीर्थयात्रा के महत्व और आध्यात्मिक परिपेक्ष्य को समझ सकते हैं। ये शब्द उस आत्मिक संवेदना और धार्मिकता की भावना को व्यक्त करते हैं जो तीर्थयात्रा के अनुभव के साथ जुड़ी होती है।

Pilgrimage Meaning in Antonyms

तीर्थयात्रा का विपरीतार्थी शब्द ढूंढने के लिए हमें उसके विपरीत भाव को समझने की आवश्यकता होती है। तीर्थयात्रा एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है, जिसमें लोग धार्मिक स्थलों पर यात्रा करते हैं। इसलिए, उसके विपरीत शब्द भी उसी अर्थ से सम्बंधित होते हैं, जो धार्मिकता की अभाव को दर्शाते हैं। यहां कुछ विपरीतार्थी शब्दों की एक सूची है और उनका विवरण:

1. अधर्म (Adharma): अधर्म एक शब्द है जो धार्मिकता और नैतिकता के विपरीत है। यह व्यक्ति के आत्मिक विकास और धार्मिकता के मूल्यों को भुलाने और उनसे विचलित होने की स्थिति को दर्शाता है। तीर्थयात्रा के विपरीत अधर्म एक स्थिति होती है जो धार्मिक स्थलों के यात्री के मन और आत्मा को अधर्मिकता और अधार्मिक कृत्यों की ओर ले जाती है।

2. निराधार्मिकता (Niradharmita): यह शब्द धार्मिकता के अभाव को दर्शाता है। धार्मिकता और नैतिकता के मूल्यों का अनदेखा करना और उनसे विचलित होना निराधार्मिकता की स्थिति को दर्शाता है। तीर्थयात्रा के विपरीत निराधार्मिकता वह स्थिति होती है जिसमें यात्री धार्मिक स्थलों पर यात्रा करते हैं, लेकिन उनके आत्मिक विकास और धार्मिकता के लिए निराधार्मिक कृत्यों में लिप्त होते हैं।

3. अधर्मी (Adharmi): अधर्मी शब्द एक व्यक्ति या समूह को दर्शाता है जो धार्मिकता के विपरीत कृत्य करता है। यह व्यक्ति अधर्मिक कार्यों के लिए जाना जाता है और उनकी सेवा में जुटा रहता है। तीर्थयात्रा के विपरीत अधर्मी व्यक्ति धार्मिक स्थलों पर यात्रा करते हैं, लेकिन वहां अपने अधर्मिक कृत्यों को जारी रखते हैं जो धार्मिक और आध्यात्मिक विकास को विघ्नित करते हैं।

4. अधर्माचारी (Adharmachari): यह शब्द भी धार्मिकता के विपरीत कृत्य करने वाले व्यक्ति को दर्शाता है। धार्मिक और नैतिकता के विपरीत व्यवहार करने वाले व्यक्ति को अधर्माचारी कहा जाता है। तीर्थयात्रा के विपरीत अधर्माचारी व्यक्ति धार्मिक स्थलों पर यात्रा करते हैं, लेकिन उनके व्यवहार में धार्मिकता की कमी होती है और वे अपने अधर्मिक कृत्यों में लिप्त रहते हैं।

5. अनैतिकता (Anaitikata): यह शब्द धार्मिक और नैतिकता के अभाव को दर्शाता है। धर्म और नैतिकता की मूल्यों का अनदेखा करना और उनसे विचलित होना अनैतिकता की स्थिति को दर्शाता है। तीर्थयात्रा के विपरीत अनैतिकता वह स्थिति होती है जिसमें यात्री धार्मिक स्थलों पर यात्रा करते हैं, लेकिन वहां धर्मिक और नैतिकता के मूल्यों को अनदेखा करते हैं और अपने अधर्मिक कृत्यों में लिप्त होते हैं।

इन विपरीतार्थी शब्दों के माध्यम से हम धार्मिकता, नैतिकता और आध्यात्मिक परिपेक्ष्य से तीर्थयात्रा के महत्व को समझ सकते हैं। ये शब्द उस अवस्था को दर्शाते हैं जिसमें तीर्थयात्रा के साथ धार्मिकता और नैतिकता के मूल्यों की अभाव होती है।

Pilgrimage Meaning का महत्व

तीर्थयात्रा का महत्व अत्यंत व्यापक और गहन है। यह धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को निम्नलिखित रूप में विवरण दिया गया है: 1. धार्मिक महत्व: तीर्थयात्रा धार्मिकता का महत्वपूर्ण अंग है। यह धर्मिक स्थलों पर यात्रा का अर्थ होता है और लोगों को अपने आध्यात्मिक और धार्मिक उत्थान के लिए प्रेरित करता है। यहां लोग धर्मिक स्थलों पर जाकर पूजा, प्रार्थना और सेवा करते हैं और अपने आत्मिक संवेदना को बढ़ाते हैं। 2. सामाजिक महत्व: तीर्थयात्रा सामाजिक एकता और सामूहिक भावना को बढ़ावा देती है। लोग समूह में तीर्थयात्रा पर जाते हैं, जो उन्हें सामूहिक अनुभव करने का मौका देता है और साथ मिलकर धार्मिक अनुभव को साझा करने का अवसर प्रदान करता है। 3. आध्यात्मिक महत्व: तीर्थयात्रा आध्यात्मिक विकास और आत्मविश्वास में सहायक होती है। यह लोगों को धार्मिक ज्ञान और आत्मा के उत्थान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। वे साधना और ध्यान के माध्यम से अपने आत्मिक संवेदना को समृद्ध करते हैं। 4. मानवीय सहायता: तीर्थयात्रा के दौरान लोग एक दूसरे की मदद और सहायता करते हैं। यह उन्हें अपने समाज और समूह के साथ संबंध बनाने का अवसर प्रदान करता है और सामूहिक सहयोग और समर्थन का माध्यम बनता है। 5. प्राकृतिक संरक्षण: धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रा करने वाले लोगों की अधिकांश संख्या ने प्राकृतिक संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई है। धार्मिक स्थलों को संरक्षित रखने के लिए कई प्राकृतिक उपायों को अपनाया जाता है, जैसे कि वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और प्रदूषण नियंत्रण। इस प्रकार, तीर्थयात्रा का महत्व धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, मानवीय सहायता, और प्राकृतिक संरक्षण में समाहित है। यह एक ऐसा सामूहिक अनुभव है जो लोगों को धार्मिकता, सामूहिकता, और प्राकृतिक संरक्षण के मूल्यों को समझने और समर्थन करने में मदद करता है।

Pilgrimage Meaning के लाभ

तीर्थयात्रा का अर्थ व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर विशेष महत्व रखता है। इसके लाभों को समझने के लिए हमें तीर्थयात्रा के प्रमुख लाभों को देखना चाहिए: 1. आत्मिक अनुभव: तीर्थयात्रा व्यक्ति को आत्मिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। धार्मिक स्थलों पर यात्रा करने से व्यक्ति अपने आत्मा के साथ संवाद करता है और आत्मिक शांति और सुख का अनुभव करता है। 2. धार्मिकता का अनुभव: तीर्थयात्रा धार्मिक स्थलों का दौरा करने का मौका प्रदान करती है। यहां लोग धर्मिक रीति-रिवाज, पूजा-पाठ और साधना का अनुभव करते हैं और धार्मिकता की अनुभूति को प्राप्त करते हैं। 3. सामूहिक अनुभव: तीर्थयात्रा एक सामूहिक अनुभव होती है जिसमें लोग एक साथ यात्रा करते हैं। यह उन्हें सामूहिक एकता, सहयोग और समर्थन का माहौल प्रदान करती है। 4. सांस्कृतिक संप्रेषण: तीर्थयात्रा व्यक्ति को विभिन्न स्थलों के स्थानीय संस्कृति और अभिव्यक्ति का अनुभव करने का मौका प्रदान करती है। वहां व्यक्ति लोकल भोजन, लोक नृत्य, और स्थानीय पर्व-त्योहारों का अनुभव करता है। 5. मानवीय संवाद: तीर्थयात्रा लोगों के बीच मानवीय संवाद और वार्तालाप का माध्यम बनती है। यहां लोग अपने विचार और अनुभव साझा करते हैं और एक-दूसरे से सीखते हैं। 6. रोमांचक अनुभव: तीर्थयात्रा लोगों को अनेक रोमांचक और आदर्शात्मक अनुभवों का अवसर प्रदान करती है। वे अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण क्षण को स्मरणशील और अनमोल बनाते हैं। 7. शारीरिक स्वास्थ्य का लाभ: धार्मिक स्थलों पर यात्रा करने से लोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का लाभ उठाते हैं। यह उनके तनाव को कम करता है और उन्हें प्राकृतिक शांति और सुकून प्रदान करता है। तीर्थयात्रा के इन लाभों से सामाजिक, धार्मिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से व्यक्ति को विकसित होने का मौका मिलता है और उसे अपने जीवन को समृद्ध और संतुलित बनाने के लिए प्रेरित करती है।

Pilgrimage Meaning कुछ महत्वपूर्ण मामले और उनके समाधान

तीर्थयात्रा का महत्व उसकी धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक प्रासंगिकता में व्यापक रूप से पाया जाता है। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण मामलों को समझेंगे और उनके समाधान को विचार करेंगे: 1. धार्मिक विवादों का समाधान: कई बार धार्मिक समुदायों के बीच विवाद और विपक्षीता होती है। तीर्थयात्रा इसे सुलझाने का एक माध्यम हो सकती है। धार्मिक स्थलों पर यात्रा करने से लोग एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और धार्मिक सिद्धांतों और रीतिरिवाजों को समझते हैं। यह सामाजिक हरमोनी को बढ़ावा देता है और धार्मिक समृद्धि को बढ़ावा देता है। 2. पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान: धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रा करते समय लोगों को प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण करने की जागरूकता होती है। वे धर्म की शिक्षाओं के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते हैं और उनके संरक्षण में सहायक होते हैं। इस रूप में, तीर्थयात्रा पर जाना पर्यावरणीय संरक्षण की जागरूकता बढ़ाता है और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। 3. समाज में सामाजिक न्याय का बढ़ावा: तीर्थयात्रा लोगों को सामाजिक न्याय के प्रति जागरूक करती है। धर्म के माध्यम से, यात्री समाज में न्याय के मूल्यों को समझते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं। इस प्रकार, तीर्थयात्रा समाज में सामाजिक समरसता और न्याय के प्रति जागरूकता फैलाती है। 4. साहित्य और कला के प्रति अवगति: तीर्थयात्रा लोगों को अपनी साहित्यिक और कलात्मक धरोहर का अनुभव करने का मौका देती है। वे स्थल के स्थानीय कलाकारों, संस्कृति, और समृद्ध धार्मिक इतिहास से परिचित होते हैं। यह लोगों को उनके धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति समझ और सम्मान के प्रति उनकी अधिकतम उत्साह और रुचि पैदा करती है। 5. सामाजिक एवं आर्थिक विकास का समर्थन: तीर्थयात्रा स्थलों पर यात्रा के दौरान, स्थानीय सांस्कृतिक, आर्थिक, और पर्यटन क्षेत्र का विकास होता है। यहां अनेक लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं, जो स्थानीय विकास में मदद करते हैं। इसके अलावा, स्थानीय व्यापार को भी वृद्धि मिलती है और सामाजिक एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार, तीर्थयात्रा के महत्वपूर्ण मामले समाज के साथ ही धार्मिक, पर्यावरणीय, आर्थिक, और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी अपनी पहुंच बनाए रखते हैं। यह एक ऐसा प्रक्रियात्मक अनुभव है जो व्यक्तियों को सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक मूल्यों को समझने और समर्थन करने के लिए प्रेरित करता है।

FAQS About Pilgrimage Meaning

1. तीर्थयात्रा क्या है?

तीर्थयात्रा एक धार्मिक या स्पिरिचुअल यात्रा है जो धार्मिक स्थलों, मंदिरों, गुरुद्वारों, मस्जिदों, या प्राकृतिक तीर्थस्थलों पर की जाती है।

2. तीर्थयात्रा का महत्व क्या है??

तीर्थयात्रा का महत्व धार्मिकता, सामाजिक समृद्धि, आत्मिक अनुभव, और पर्यावरणीय संरक्षण में है। इससे लोगों को धार्मिक सत्यों का अनुभव होता है और उन्हें धार्मिक और सामाजिक जीवन में समृद्धि मिलती है।

3. तीर्थयात्रा कैसे की जाती है?

तीर्थयात्रा की योजना करने के लिए पहले आपको एक धार्मिक स्थल का चयन करना होगा। फिर यात्रा की तिथि, रूट, और अन्य विवरणों को निर्धारित करें। अंत में, यात्रा के दौरान आपको धार्मिक क्रियाएं, पूजा, और सेवा के अवसर मिलेंगे।

4. तीर्थयात्रा कितने प्रकार की होती है?

तीर्थयात्रा कई प्रकार की होती है, जैसे कि चारधाम यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, चारधाम यात्रा, और अल्लाहबाद कुम्भ मेला आदि।

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